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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
1.विदुर जी तथा मैत्रेय ऋषि का संवाद
आगे शुकदेवजी कहते हैं - तब विदुरजी मैत्रेय ऋषि से इस ज्ञान को प्राप्त करने के लिए चल पड़े। लेकिन मैत्रेय ऋषि कहाँ मिलेंगे, यह उन्हें पता नहीं था। मैत्रेय ऋषि हरिद्वार में गंगा के किनारे बैठे हुए थे। वहाँ पहुँच कर विदुरजी ने उन्हें देखा, तो बड़े प्रसन्न हुए। उनके पास जाते हैं, और प्रश्न पूछते हैं कि-
संसार में सभी लोग सुख चाहते हैं। सुख प्राप्ति के लिए बहुत प्रयत्न भी करते रहते हैं लेकिन उनको सुख मिलता नहीं। सुख नहीं मिलता इतना ही नहीं, ‘विन्देत भूयस्तत एवं दुःखं’, और ज्यादा दुःख ही प्राप्त होता रहता है। अतः सुख प्राप्त करने के लिए जो युक्त-समीचीन बात हो, वह आप मुझे बताइये, क्योंकि मेरे लिए आप में, भगवान में कोई अन्तर नहीं है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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