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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
4.आदर्श की परिसीमा - भगवान श्री राम
हम पहले देख चुके हैं कि राजा प्रियव्रत ने ब्रह्माण्ड में कैसे विभाग किये थे, और यह भी देखा था कि ब्रह्माण्ड में नौ वर्ष होते हैं। नौ वर्षों में- स्थानों पर, भगवान के अलग-अलग रूपों की उपासना होती है। ‘किम्पुरुष’ वर्ष में भगवान श्री रामचन्द्रजी की आराधना होती है।
यद्यपि भागवत में भगवान श्री रामचन्द्रजी की सभी लीलाओं का वर्णन हैं, तथापि हम यहाँ उन सबको नहीं देखेंगे क्योंकि वे तो प्रायः हमें रामायण की कथाओं के-द्वारा ज्ञात होती ही हैं। किम्पुरुष वर्ष में परम भागवत हनुमान जी अविरत भक्ति के द्वारा भगवान श्री रामचन्द्रजी की उपासना पूजा करते हैं, उनका यश गाते हैं और स्तुति करते हैं। यह अत्यन्त सुन्दर स्तुति है जिसका वर्णन पाँचवे स्कन्ध में किया गया है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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