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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
22.ब्रह्माजी का मोह
यहाँ एक बात यह कहीं गई कि जब यह घटना हुई तब भगवान पाँच साल के थे। लेकिन, एक साल के बाद, बच्चे अपने-अपने माता-पिताओं को यह घटना सुनाते हैं कि आज भगवान बालकृष्ण ने अजगर को मारा। एक साल के बाद सुनाया तो राजा परीक्षित को शंका हुई। वे भगवान शुकदेवजी से पूछते हैं कि एक साल पूर्व की बात को ये बच्चे ऐसे बता रहे हैं जैसे आज ही हुआ है। वह कैसे? श्री शुकदेवजी कहते हैं, भगवान ने जब अघासुर से सबको बचा लिया, तब वे उन सब को यमुनाजी के तट पर ले आये। फिर कहने लगे कि देखो तो सही यहाँ की बालू कितनी कोमल है, यहाँ सब कुछ कितनी रमणीक लगता है। यह स्थान हमारे खेलकूद के लिए बहुत बढ़िया है। अब हमें यहीं पर पहले भोजन कर लेना चाहिए। पास ही बछड़ों के लिए हरी-हरी घास भी है। वे वहाँ चरते रहेंगे। सबको बात अच्छी लगी। तो उन्होंने कहा ठीक है। यहाँ बड़ा सुन्दर वर्णन किया गया है कि बछड़े तो सब घास चरने चले गये, लेकिन सारे ग्वालबाल भगवान के चारों ओर मण्डलाकार में बैठ गए। अब देखो-
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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