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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
37.गोपी-गीत
इसके बाद का जो प्रसंग है उसे ‘गोपी-गीत’ कहते हैं, यह बड़ा ही प्रिय और मधुर गीत है। इसमें अन्नीस श्लोक हैं, रासपंचाध्यायी के भी, मानो ये प्राण हैं। ये बहुत ही सुन्दर श्लोक हैं। उनमें से कुछ श्लोकों को हम यहाँ देखेंगे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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