विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
9.भगवान शंकर का मोहित होना
अब इसके आगे की कथा बड़ी विचित्र है। भगवान शिव जी ने जब सुना कि समुद्र मन्थन से अमृत निकला तब भगवान ने मोहिनी अवतार लिया, भगवान नारायण स्त्री का रूप लेकर आए, तो वे कहने लगे कि भगवान के जितने भी अवतार हुए हैं उन सबको मैंने देखा है, परन्तु इस मोहिनी अवतार को तो मैंने देख ही नहीं।
भगवान के उस मोहिनी रूप को भी देखने की इच्छा से वे अपने नन्दी बैल पर आरूढ़ होकर भगवान नारायण के पास गए और वहाँ जाकर कहते हैं-
भगवान मैंने आपके सब अवतार देखे हैं, लेकिन यह स्त्री रूप का अवतार नहीं देखा। उसे भी मैं देखना चाहता हूँ। भगवान ने कहा, “स्त्री रूप को देखना चाहते हो?” भगवान नारायण यहाँ सावधान करने की दृष्टि से कहते हैं कि वह मोहिनी अवतार तो मैंने ‘कौतूहलाय दैत्यानां’ दैत्यों को मोहित करने के लिए, एक खेल रचने के लिए धारण किया था। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विवरण | पृष्ठ संख्या |