विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
9.अधिकारी के लक्षण
तो ब्राह्मणों ने कहा- अरे युधिष्ठिर, यह परीक्षित तो आप सबसे बढ़कर हैं। अब देखो यहाँ राजा परीक्षित के गुण बताये गये हैं।
कहते हैं- प्रजापालन में तो यह मनु महाराज के जैसा होगा। अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने में, ब्राह्मणों की रक्षा करने में यह साक्षात श्रीरामचन्द्रजी जैसा होगा। इसी प्रकार, अपनी शरण में आये हुये व्यक्ति को सब कुछ देने में, उसके लिए अपने प्राण भी त्यागने में यह राजा शिवि के जैसा होगा। शूर-वीरता में, यश के विस्तार में दुःष्यन्त के पुत्र भरत जैसा होगा। धनुर्विद्या में आपके भाई अर्जुन और सहस्रबाहु दोनों की बराबरी का होगा। यानि उनसे बड़कर होगा। अग्नि के समान दुर्द्धर्ष होगा। कोई उसे छू नहीं पायेगा। समुद्र के समान विशाल होगा, उसे कोई पार नहीं कर सकेगा। साहस में यह सिंह के जैसा, क्षमा करने में पृथ्वी के जैसा, सहनशीलता में पितरों के समान होगा। प्रसन्नता में भगवान शिवजी के जैसा और सबको आश्रय देने में भगवान विष्णु के जैसा होगा। उदारता में रन्तिदेव के समान होगा। धारणाशक्ति में-धृती में राजा बली के समान, और भक्ति में प्रह्लाद के जैसा होगा। यह अनेक प्रकार के अश्वमेधादि यज्ञ करेगा। राजर्षियों का पालन करेगा, दुष्टों का निग्रह करेगा और कलि को संयमित कर देगा। तब युधिष्ठिर बोले महाराज, ‘‘आप तो सब अच्छी-अच्छी बातें ही बाता रहे हैं, क्या कोई अन्यथा बात भी है?’’ बोले, ‘‘डरने जैसी कोई बात नहीं है। हाँ इसे एक ब्राह्मण का शाप मिलेगा कि तक्षक सर्प तुमको दंश करेगा। और उससे तुम्हारा मरण होगा। लेकिन, जब इसको पता लगेगा कि सर्प के दंश से मेरा मरण होने वाला है, तब यह सब कुछ त्याग कर गंगा किनारे बैठ जाएगा। तब सारे बड़े-बड़े ऋषि महर्षि वहाँ आ जाएँगे और शुकदेव जी भी वहाँ आकर इसको ज्ञान देंगे। यह मुक्त हो जाएगा। यह तुम्हारे समस्त कुल का उद्धार करने वाला होगा। यह ऐसे महान गुणों से सम्पन्न लड़का है। इसके विषय में चिन्ता करने जैसी कोई बात है ही नहीं।’’ परीक्षित के बारे में यह सब सुन कर राजा युधिष्ठिर को बड़ी प्रसन्नता हुई। प्रसन्न होकर, उन्होंने ब्राह्मणों को तथा अन्य लोगों को भी बहुत दान दिया है। ज्यों-ज्यों वह राज पुत्र बढ़ता गया उससे उनका प्रेम भी बढ़ता गया। युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण के परामर्श के अनुसार अनेक यज्ञ किये। इस प्रकार उनका राज्य अच्छी तरह से बढ़ता गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.12.19
संबंधित लेख
क्रमांक | विवरण | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज