विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
8.गोकर्ण द्वारा भागवत कथा
प्रातः उठकर गोकर्ण सोचने लगे कि इसके लिए अब क्या करें? पास के गाँव वाले लोग मिलने के लिए आते हैं तब उन लोगों से भी पूछकर वे सूर्य भगवान की उपासना-प्रार्थना करते हैं। सूर्य भगवान प्रसन्न होकर कहते हैं कि तुम भागवत सप्ताह करो। सब ठीक हो जाएगा। देखो घुम-फिरकर बात आ गयी भागवत सप्ताह पर बोले- अच्छा। तत्काल भागवत सप्ताह का आयोजन किया गया। सब लोग आँगन में बैठ गये। गोकर्ण ने भागवत कथा कही। वहाँ पर एक बाँस पड़ा था, जिसमें सात गाँठें थीं। प्रेतात्मा धुंधुकारी को और कहीं जगह नहीं मिली तो वह बाँस में जाकर बैठ गया। एक दिन की कथा हुई तो एक गाँठ फट गयी। दूसरे दिन की कथा हुई तो दूसरी गाँठ फट गयी। लोगों की समझ में नहीं आ रहा था कि यह कुछ फटने की आवाज कहाँ से आती है। सातवें दिन कथा समाप्ति पर बाँस की आखिरी गाँठ भी फट गयी और उस बाँस में से एक दिव्य देहधारी जीव निकला। वह गोकर्ण को प्रणाम करके बार-बार धन्यवाद देता है कि भैया तुमने मूझे इस दुर्गति से बचा लिया। मैं तुमको किस प्रकार से धन्यवाद दूँ! सारे लोग आश्चर्यचकित होकर देख रहे थे। देखते-ही-देखते उसके लिए वैकुण्ठ से विमान आया। तब गोकर्ण ने हरिदासों से पूछा- अरे यहाँ हमारे इतने सारे श्रोता हैं, सबने भागवत कथा सुनी है। तुम केवल इसी के लिए विमान लेकर आए हो? अन्य सभी लोगों के लिए विमान नहीं लाये? यह क्या बात हुई एक जो प्रेतात्मा है उसी को लेकर जा रहे हो? यह कैसे हुआ? श्रवण तो सबने किया फिर फल भेद कैसे हुआ? हरिदासों ने बहुत सुन्दर उत्तर दिया। वे बोले-
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ भा.मा. 5.71
संबंधित लेख
क्रमांक | विवरण | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज