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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
1.अम्बरीष-चरित्र
जिन महात्माओं ने भगवान को अपने हृदय में बिठा लिया है, उनके लिए कौन सा कार्य कठिन है या कौन सी चीज को त्यागना कठिन है? कुछ भी कठिन नहीं है, उनके लिए सब सुलभ है।
जिन भगवान का नाम लेने से सब लोग पवित्र हो जाते हैं, उनके चरणकमलों पर आश्रित तथा उन चरणों का तीर्थ ग्रहण करने वाले भक्त के लिए कौन सी चीज कठिन है? दुर्वासा ऋषि क्षमा माँगकर उनकी स्तुति करते हैं। इस प्रकार यहाँ राजा अम्बरीष के ऐसे सुन्दर चरित्र का वर्णन किया गया है। 2.इक्ष्वाकु-वंशइसके बाद आता है इक्ष्वाकु वंश। इसमें सौभरि ऋषि, राजा त्रिशंकु, हरिश्चन्द्र, सम्राट सगर और खट्वांग ऋषि आदि का वर्णन है। खट्वांग राजर्षि थे। इनका वर्णन हम पहले भी देख चुके हैं। इन्होंने देवताओं की सहायता की थी। सहायता करने के बाद जब देवताओं ने कुछ माँगने के लिए कहा तो इन्होंने पूछा कि मेरे मरण में कितना समय बाकी है। देवताओं ने उत्तर दिया-आप के मरण में केवल दो घंटे रहे गये हैं। तब खट्वांग राजा ने दो घंटे में ही सब कुछ त्याग कर अपने मन को भगवान में लगा दिया। राजा अंशुमान्, उनके पुत्र दिलीप और दिलीप के पुत्र भगीरथ अपने महत् प्रयास से गंगाजी को धराधाम पर ले आये। सूर्य वंश-इक्ष्वाकु वंश में ऐसे-ऐसे महान् राजा हुए हैं। उसके बाद इसी इक्ष्वाकु वंश में राजा दिलीप हुए, राजा दिलीप के पुत्र हुए रघु, रघु के पुत्र हुए अज, अज के पुत्र हुए दशरथ और दशरथ के पुत्र हुए भगवान श्रीरामचन्द्र जी। बोलिये भगवान श्री रामचन्द्र जी की जय। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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