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श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
62.प्रद्युम्न द्वारा शम्बरासुर का वध
उसके बाद, इनके पुत्र हुए प्रद्युम्न। प्ऱद्युम्न पूर्व जन्म में कामदेव थे। उन्हें भगवान शंकर ने जला दिय था, तो वे अनंग हो गये थे। कामदेव की पत्नि रति की प्रार्थना पर शंकर भगवान ने कह दिया था कि अगले जन्म में कामदेव वासुदेव के घर रुक्मिणी नन्दन के रूप में प्रकट होगा। तो अब वे ही कामदेव भगवान के पुत्र प्रद्युम्न बनकर आ गए। भागवत में उनकी कथा विस्तार से कही गई है। दस दिन के प्रद्युम्न को शम्बरासुर ने समुद्र में फेंकवा दिया था, क्योंकि उसे मालूम हो गया था कि प्रद्युम्न बड़ा होकर उसका शत्रु बनेगा। समुद्र में एक बड़े मच्छ ने बालक प्रद्युम्न को निगल लिया। मछुओं ने उसे मच्छ को शम्बरासुर को भेंट कर दिया। उसके पाकशाला में जब वह मच्छ काटा गया तो उसमें से एक सुन्दर शिशु निकला। नारद जी से रति को इस प्रकार होनी का पूर्व ज्ञान हो गया था। इसी कारण वह मायावती बनकर शम्बरासुर के महल में काम करने लगी थी। उसने उस शिशु प्रद्युम्न को ले कर उसका पालन-पोषण किया। प्रद्युम्न शीघ्र ही युवक बन गये तब रति ने अपना असली स्वरूप प्रकट करके सारी कथा कह सुनाई और यह भी कहा कि द्वारका में आपकी माता आपके लिये व्याकुल हैं। तब रति के द्वारा सिखाई गई महामाया नामक विद्या अर्जित कर प्रद्युम्न ने शम्बरासुर को मार डाला। उसके बाद, रति को साथ लेकर आकाश मार्ग से वे द्वारका पहुँच गए। तब नारद जी ने वहाँ पहुँचकर सारा वृत्तान्त कह सुनाया। सभी लोग प्रद्युम्न तथा रति से मिलकर बड़े आनन्दित हुए। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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