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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 29
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 3
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 30
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 31
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 32
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 33
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 39
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 4
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 40
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 41
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 42
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 49
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 5
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 50
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 51
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 58
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 59
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 6
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 60
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 61
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 68
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 69
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 7
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 70
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 71
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 72
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 73
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 74
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 75
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 76
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 78
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 79
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 8
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 80
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 81
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 82
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 83
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 88
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 9
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 90
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 91
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- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 98
- मेरे तो गिरधर गोपाल -रामसुखदास पृ. 99
- मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरा न कोई -मीराँबाई
- मेरे तो येक राम नाम दूसरा न कोई -मीराँबाई
- मेरे दधि कौ हरि स्वाद न पायौ -सूरदास
- मेरे दुख कौ ओर नहीं -सूरदास
- मेरे धन-जन-जीवन तुम ही -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरे नैन कुरंग भए -सूरदास
- मेरे नैन चकोर भुलाने -सूरदास
- मेरे नैन निरखि सचु पावै -सूरदास
- मेरे नैन निरखि सचु पावैं -सूरदास
- मेरे नैन निरखि सुख पावत -सूरदास
- मेरे नैननि कौ रस नंदलला -सूरदास
- मेरे नैननि ही सब दोस -सूरदास
- मेरे नैननिही सब खोरि -सूरदास
- मेरे नैननिही सब दोष -सूरदास
- मेरे नैननिहीं सब खोरि -सूरदास
- मेरे नैननिहीं सब दोष -सूरदास
- मेरे नैना अटकि परे -सूरदास
- मेरे नैना दोष भरे -सूरदास
- मेरे नैना बिरह की बेलि बई -सूरदास
- मेरे नैना ये अति ढीठ -सूरदास
- मेरे प्रीतम प्यारे राम कूँ -मीराँबाई
- मेरे प्रीतम प्यारे राम कूं -मीराँबाई
- मेरे मन इतनी सूल रही -सूरदास
- मेरे मन के धन तुम ही हो -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरे मन मैं वे गुन गड़े -सूरदास
- मेरे माई, स्याम मनोहर जीवन -सूरदास
- मेरे माथैं राखौ चरन -सूरदास
- मेरे मोहन जल-प्रवाह क्यौ टारयौ -सूरदास
- मेरे मोहन जल-प्रवाह क्यौं टारयौ -सूरदास
- मेरे मोहन तुमहि बिना नहिं जैहौं -सूरदास
- मेरे मोहन तुमहिं बिना नहिं जैहौं -सूरदास
- मेरे राणाजी मैं गोबिन्द गुण गाना -मीराँबाई
- मेरे लाड़िले हो तुम जाउ न कहूँ -सूरदास
- मेरे लाल के प्रेम खिलौना -सूरदास
- मेरे लिये प्राणवल्लभ को -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरे लेखै मधुबन बसत उजारि -सूरदास
- मेरे साँवरे जब मुरली अधर धरो -सूरदास
- मेरे सांवरे मैं बलि जाउं भुजन की -सूरदास
- मेरे साथ बिहार करैं प्रिय -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरे हृदय नाहिं आवत हो -सूरदास
- मेरे हे जीवन-जीवन -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मेरै जिय यहै परेखौ आवै -सूरदास
- मेरै माई लोभी नैन भए -सूरदास
- मेरैं जिय ऐसी आनि बनी -सूरदास
- मेरैं माई लोभी नैन भए -सूरदास
- मेरैं हठ कयौं निबहन पैहौ -सूरदास
- मेरैं हठ क्यौं निबहन पैहौ -सूरदास
- मेरैं हिय लागैं मनमोहन -सूरदास
- मेरो कहा करत ह्वैहै -सूरदास
- मेरो नाम रामहिं राम रटैरे -मीराँबाई
- मेरो बेड़ो लगाज्यो पार -मीराँबाई
- मेरो बेड़ो लगाज्योर पार -मीराँबाई
- मेरो मन अनत कहाँ सुख पावै -सूरदास
- मेरो मन बसिगो गिरधरलाल सों -मीराँबाई
- मेरो मन लागो हरिसूं -मीराँबाई
- मेरौ अति प्यारौ नँदनंद -सूरदास
- मेरौ अति प्यारौ नंद नंद -सूरदास
- मेरौ कहा करत ह्वैहै -सूरदास
- मेरौ कह्यौ नाहिंन सुनति -सूरदास
- मेरौ कह्यौ सत्य करि जानौ -सूरदास
- मेरौ कह्यौ सत्यि करि जानौ -सूरदास
- मेरौ गोपाल तनक सौ -सूरदास
- मेरौ दधि लीजै कुंज दानि -सूरदास
- मेरौ मन कहिबे ही कौं है -सूरदास
- मेरौ मन कहिवे ही कौ है -सूरदास
- मेरौ मन गोपाल हरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन तब तै न फिरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन तब तैं न फिरयौ री -सूरदास
- मेरौ मन न रह कान्ह बिना -सूरदास
- मेरौ मन बैसीयै सुरति करै -सूरदास
- मेरौ मन मति-हीन गुसाई -सूरदास
- मेरौ मन वैसिऐ सुरति करै -सूरदास
- मेरौ मन हरि-चितवनि अरुझानौ -सूरदास
- मेरौ मन हरि-चितवनि अरूझानौ -सूरदास
- मेरौ मन हरि लियौ नंदढुटौना -सूरदास
- मेरौ माई ऐसौ हठी -सूरदास
- मेरौ माई कौन कौ दधि चोरै -सूरदास
- मेरौ माई निधनी कौ धन माधौ -सूरदास
- मेरौ हरि नागर सौं मन मान्यौ -सूरदास
- मेष
- मेषश्रृंग
- मेषहृत
- मेह बरसै मंद मंद -सूरदास
- मै अपनै जिय गर्व कियौ -सूरदास
- मै अपनै मन गरब बढ़ायौ -सूरदास
- मै उनके गुन नीकै जानति -सूरदास
- मै जानी जिय जहँ रति मानी -सूरदास
- मै जानी तेरे जिय की बात सोइ -सूरदास
- मै जानी पिय बात तुम्हारी -सूरदास
- मै जाने हौ जू नीकै तुम्है -सूरदास
- मै तुम्हरे गुन जाने स्याम -सूरदास
- मै नँदनंदन सौ कछु न कह्यौ -सूरदास
- मै हरि सौ हो मान कियौ री -सूरदास
- मैं अति दीन, मलिन मति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं अतिही यह पोच करी -सूरदास
- मैं अपणे सैया संग सांची -मीराँबाई
- मैं अपनी सब गाइ चरैहौं -सूरदास
- मैं अपनी सी बहुत करी री -सूरदास
- मैं अपने सैय्याँ सँग साँची -मीराँबाई
- मैं अपनै कुलकानि डरानी -सूरदास
- मैं अपनै बल रहति स्याम सँग -सूरदास
- मैं अपनैं कुलकानि डरानी -सूरदास
- मैं अपनैं जिय गर्व कियौ -सूरदास
- मैं अपनैं बल रहति स्याम सँग -सूरदास
- मैं अपनौ मन हरि सौं जोरयौ -सूरदास
- मैं अपराधिनि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं अमली हरिनाँव की मुझि बाइड आवै -मीराँबाई
- मैं आपनौ मन हरत न जान्यौ -सूरदास
- मैं उनके गुन नीकैं जानति -सूरदास
- मैं कह आजु नवै री आई -सूरदास
- मैं कह तोहिं मनावन आई -सूरदास
- मैं कैसें रस रासहि गाऊं -सूरदास
- मैं कैसें रस रासहिं गाऊँ -सूरदास
- मैं गिरधर के घर जाऊँ -मीराँबाई
- मैं गिरधर रंग राती सैयां मैं -मीराँबाई
- मैं गोबिंद गुण गाणा -मीराँबाई
- मैं छोड़, प्रिये! तुमको -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं जमुनातट जाति सही री -सूरदास
- मैं जाणयो नाहीं प्रभु को मिलण कैसे होइरी -मीराँबाई
- मैं जानति हौं ढीठ कन्हाई -सूरदास
- मैं जानी जिय जहँ रति मानी -सूरदास
- मैं जानी तेरे जिय की बात सोइ -सूरदास
- मैं जानी पिय बात तुम्हारी -सूरदास
- मैं जानी पिय मन की बात -सूरदास
- मैं जाने हौं जू नींकैं तुम्हैं ए हो प्यारे लालन -सूरदास
- मैं जान्यौ री आए है हरि -सूरदास
- मैं जान्यौ री आए हैं हरि -सूरदास
- मैं तुम पै व्रजनाथ पठायौ -सूरदास
- मैं तुम्हरे गुन जाने स्याम -सूरदास
- मैं तुम्हरे मन की सब जानी -सूरदास
- मैं तेरे घर कौ हौं ढाढ़ी -सूरदास
- मैं तेरै रंग राती गुसँइयाँ -मीराँबाई
- मैं तो गिरधर के घर जाउ -मीराँबाई
- मैं तो गिरधर के घर जाउुं -मीराँबाई
- मैं तो छुप गई लाज की मारी -मीराँबाई
- मैं तो तेरी सरण परी रे रामा -मीराँबाई
- मैं तो म्हांरा रमैयाने -मीराँबाई
- मैं तो राजी भई मेरे मन में -मीराँबाई
- मैं तो राम-चरन चित दीन्हौं -सूरदास
- मैं तो साँवरे रंग राची -मीराँबाई
- मैं तो सांवरे के रंग राची -मीराँबाई
- मैं तो हरि चरणन की दासी -मीराँबाई
- मैं तौ अपनी कही बड़ाई -सूरदास
- मैं तौ आजु करी नंद कानि -सूरदास
- मैं तौ जो हरे, ते तौ सोवत परे हैं -सूरदास
- मैं तौ जो हरे हैं -सूरदास
- मैं तौ तुम्हैं हँसतअरुखेलतहिं छाँड़ि गई -सूरदास
- मैं तौ सुमरया छे मदनगोपाल -मीराँबाई
- मैं थी पहले मलिना -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं दुहिहौं मोहिं दुहन सिखावहु -सूरदास
- मैं देख्यौ जसुदा कौ नंदन -सूरदास
- मैं न तुमसे एक क्षण भी दूर हूँ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं परदेसिनि नारि अकेली -सूरदास
- मैं प्रियतम, तू प्रेयसि मेरी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं बरज्यौ जमुना-तट जात -सूरदास
- मैं बलि जाउँ कन्हैया की -सूरदास
- मैं बलि जाउँ स्याम-मुख-छबि पर -सूरदास
- मैं बलि स्याम, मनोहर नैन -सूरदास
- मैं बिरहणि बैठी जागूं -मीराँबाई
- मैं भरुहाऐं लागत हौं -सूरदास
- मैं भूली थी अपने भ्रम से -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं मन बहुत भाँति समुझायौ -सूरदास
- मैं मन मोल गुपालहिं दीन्हौ -सूरदास
- मैं मोही तेरैं लाल री -सूरदास
- मैं व्रजवासिन की बलिहारी -सूरदास
- मैं शरण आ पड़ा शरणद नाथ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैं सब लिखि सोभा -सूरदास
- मैं सब लिखि सोभा जु बनाई -सूरदास
- मैं समुझाई अति अपनौ सौ -सूरदास
- मैं हरि की मुरली बन पाई -सूरदास
- मैं हरि बिनि क्यूं जिवूं री माइ -मीराँबाई
- मैं हरि सौं हो मान कियौ री -सूरदास
- मैं हूँ पूर्णानन्द परम शुचि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैंद
- मैंने कभी न चाहा तुम को -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैंने राम रतन धन पायौ -मीराँबाई
- मैत्रेय
- मैत्रेय (बहुविकल्पी)
- मैत्रेय (सूर्य)
- मैत्रेय ऋषि
- मैत्रेयी का दुर्योधन को शाप
- मैत्रेयी का धृतराष्ट्र तथा दुर्योधन से सद्भाव का अनुरोध
- मैथिले कृती
- मैथिलेन प्रयुक्त
- मैनाक
- मैनाक पर्वत
- मैन्द
- मैया! तू भोली है -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मैया, मैं तो चंद-खिलौना लैहौं -सूरदास
- मैया, मोहिं बड़ौ करि लै री -सूरदास
- मैया एक मंत्र मोहिं आवै -सूरदास
- मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी -सूरदास
- मैया कबहिं बढै़गी चोटी -सूरदास
- मैया तेरौ मोहन अतिहिं -सूरदास
- मैया बहुत बुरौ बलदाऊ -सूरदास
- मैया मैं नहिं माखन खायो -सूरदास
- मैया मोहि माखन मिसरी भावे -चतुर्भुजदास
- मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै -परमानंददास
- मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायौ -सूरदास
- मैया री, मोहिं माखन भावै -सूरदास
- मैया री मैं चंद लहौंगौ -सूरदास
- मैया री मैं जानत वाकौं -सूरदास
- मैया री मोहिं दाऊ टेरत -सूरदास
- मैया हौं गाइ चरावन जैहौं -सूरदास
- मैया हौं न चरैहौं गाइ -सूरदास
- मैरेयक
- मो अनाथ के नाथ हरी -सूरदास
- मो कों कछु न चहिये राम -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो ते भर्ईं चूक अन-गिनती राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो ते भर्ईं चूक अन-गिनती राधे -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो देखत जसुमति तेरैं ढोटा -सूरदास
- मो पर ग्वालि कहा रिसाति -सूरदास
- मो मति अजहुँ जानकी दीजै -सूरदास
- मो मन उनही कौ जु भयौ -सूरदास
- मो मन गिरिधर छबि पै अटक्यो -कृष्णदास
- मो मन राधा-छबि -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मो सम कौन कुटिल खल कामी -सूरदास
- मोकौं निंदि पर्बतहिं बंदत -सूरदास
- मोकौं निदि पबंतहि बंदत -सूरदास
- मोकौं माई जमुना जम ह्वै रही -सूरदास
- मोक्ष
- मोक्ष-संन्यासिनी गोपियां
- मोक्ष (महाभारत संदर्भ)
- मोक्ष की प्राप्ति
- मोक्ष की प्राप्ति में वैराग्य की प्रधानता
- मोक्ष के साधन का वर्णन
- मोक्षकर्ता
- मोक्षद्वारत्रिविष्टप
- मोक्षधर्म की श्रेष्ठता का प्रतिपादन
- मोक्षसाधक ज्ञान की प्राप्ति का उपाय
- मोतै नैन गए री ऐसै -सूरदास
- मोतै यह अपराध परयो -सूरदास
- मोतैं नैन गए री ऐसैं -सूरदास
- मोतैं यह अपराध परयो -सूरदास
- मोदा
- मोदापुर
- मोपै गिरिधर! कृपा करौ -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोर
- मोर के चंदन मोर बन्यौ -रसखान
- मोरन के चंदवा माथै बने -सूरदास
- मोरन के चंदवा माथैं बने -सूरदास
- मोरन के चंदवा माथैं बने 1 -सूरदास
- मोरन तुम कैसे हौ दानी -सूरदास
- मोरपखा मुरली बनमाल -रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखि हौं -रसखान
- मोरपखा सिर ऊपर राखिहौं -रसखान
- मोरपिच्छ सिर, कर्णिकार श्रुति -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोरी ज्यान मोहोब्बत लगाई रे -मीराँबाई
- मोरी लागी लटक गुरु चरणकी -मीरां
- मोरे लय लगी गोपालसे मेरा काज कोन करेगा -मीरां
- मोरे ललन -मीरां
- मोसी हितू न तेरै ह्वैहै -सूरदास
- मोसौ पतित न और हरे -सूरदास
- मोसौ सुनहु नृपति कौ नाउं -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति नारि -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति प्यारी -सूरदास
- मोसौं कहा दुरावति राधा -सूरदास
- मोसौं बात सकुच तजि कहियै -सूरदास
- मोसौं बात सुनहु ब्रज-नारी -सूरदास
- मोसौं सुनहु नृपति कौ नाउँ -सूरदास
- मोह (महाभारत संदर्भ)
- मोहन
- मोहन, आउ तुम्हें अन्हवाऊँ -सूरदास
- मोहन, मानि मनायौ मेरौ -सूरदास
- मोहन-कर तै दोहनि लीन्हीं -सूरदास
- मोहन-मन धन हारिणी -हनुमान प्रसाद पोद्दार
- मोहन-मुख-पंकज पै सरबस दीन्हौ वार री -हनुमान प्रसाद पोद्दार