मैं तो म्‍हांरा रमैयाने -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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अपनी टेक


मै तो म्‍हाँरा रमैयाने, देखबो करूँरी ।। टेक ।।
तेरो ही उमरण, तेरो ही सुमरण, तेरो ही ध्‍यान धरूँरी ।
जहाँ जहाँ पाँव धरूँ धरणी पर, तहाँ तहाँ निरत करूँरी ।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, चरणाँ लिपट परूँरी ।।18।।[1]

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टीका टिप्पणी और सदर्भ

  1. म्हाँरा = मेरा, अपना। रमैया ने = प्रियतम राम को। तेरो...सुमरण = तेरा ही स्मरण व चिन्तन। जहाँ...निरत करूँगी = चलते समय प्रत्येक पग को हरि कीर्तन के अवसर पर किये गये पादक्षप के रूप मे समझूँगी। ( देखो - सहज समाधि वर्णन मे कहे गये, ‘जहँ जहँ 7 डोलूँ तहँ परिक्रमा’ आदि विवरणों को )।

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