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मेरे तो गिरधर गोपाल -स्वामी रामसुखदास
1. मेरे तो गिरधर गोपाल
प्यास लगे तो पानी पी लिया, भूख लगे तो रोटी खा ली, ठण्ड लगे तो कपड़ा ओढ़ लिया, नहीं मिले तो नहीं सही! शरीर जाय तो अच्छी बात, रहे तो अच्छी बात, अपना कोई मतलब नहीं। न शरीर के रहने से कोई मतलब, न शरीर जाने से कोई मतलब। हमारा मतलब केवल भगवान् से है। केवल भगवान् हमारे हैं, हम भगवान् के हैं- ऐसा सोचकर मस्त हो जाओ, आनन्द में हो जाओ, नाच उठो कि आज हमें पता चल गया, आज तो मौज हो गयी! अब हम किसी की गुलामी नहीं करेंगे। ऊपर-नीचे, बाहर-भीतर सब जगह एक परमात्मा ही हैं-
अन्तर्बहिश्च तत्सर्वं व्याप्य नारायणः स्थितः ।।[2] वह परमात्मा नजदीक-से-नजदीक है, दूर-से-दूर है, बाहर-से-बाहर है, भीतर-से-भीतर है। एक परमात्मा-ही-परमात्मा है और वह अपना है- ऐसा सोचकर मस्त हो जाओ। कोई आये तो परमात्मा है, कोई जाय तो परमात्मा है। कोई कुछ करे, परमात्मा-ही-परमात्मा है। उस परमात्मा को पुकारो कि ‘हे नाथ! हे मेरे नाथ! मैं आपको भूलूँ नहीं।’ आपका जन्म सफल हो जायगा! यह कितनी बढ़िया बात है! कितनी ऊँची बात है! कितनी सच्ची बात है! कितनी निर्मल बात है! कोई क्या करता है, यह आप मत देखो। हमें उससे क्या मतलब है?
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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