टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इण
- ↑ सरण = शरण में। परी = आ गई हूँ। ज्यूँ... ज्यूँ = जिस प्रकार उचित समझे। अड़सठ तीरथ = अनेक वा सारे तीर्थ। सुणियौ श्रवण = कानों से सुनिये। जम... निवार = आवागमन से मुक्तकर।
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