मोक्ष भारतीय दर्शन में नश्वरता को दु:ख का कारण माना गया है। संसार आवागमन, जन्म-मरण और नश्वरता का केंद्र हैं। इस अविद्याकृत प्रपंच से मुक्ति पाना ही मोक्ष है।
- सभी दार्शनिक प्रणालियों ने संसार के दु:ख मय स्वभाव को स्वीकार क्रिया है और इससे मुक्त होने के लिये कर्म मार्ग या ज्ञान मार्ग का रास्ता अपनाया है।
- मोक्ष इस तरह के जीवन की अंतिम परिणति है। इसे पारमार्थिक मूल्य मानकर जीवन के परम उद्देश्य के रूप में स्वीकार किया गया है।
- मोक्ष को वस्तुसत्य के रूप में स्वीकार करना कठिन है। सभी प्रणालियों में मोक्ष की कल्पना प्राय: आत्मवादी है।
- धर्म के अनुसार भगवान विष्णु सर्वपापहारी पवित्र और समस्त मनुष्यों को 'भोग' तथा 'मोक्ष' प्रदान करने वाले प्रमुख देवता हैं।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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