मीराँबाई की पदावली
विरहोद्गार राग बागेश्वरी
मैं बिरहणि बैठी जागूँ, जगत सब सोवै री आली ।।टेक।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ जागूँ = जगती हूँ। पौवै = पिरोती हूँ। गिण गिण = गिन गिन कर, देखते देखते। बिहानी = बीती बीत गई। ( देखो - ‘तारा गिणत निराश’ - पद ( 68 ) और, ‘अणरत सुख सोवणां, रातै नींद न आई। ज्यूँ जल टुटै मंछली, यूं बेलत विहाइ - कबीर)।
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