हे मेरो मन मोहना -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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विरहोद्गार


राग सारंग


हे मेरो मन मोहना ।
आयो नहीं सखीरी, हे मेरो० ।।टेक।।
कैं कहुँ काज कि‍या संतन का, कैं कहुँ गैल भुलावना ।
कहा करूँ कि‍त जाऊँ मोरी सजनी, लाग्‍यो है बिरह सँतावना ।
मीराँ दासी दरसण प्‍यासी, हरि चरणाँ चित लावणा ।।85।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. - कै = यातो। कहुँ = कहीं पर। किया = किये, करने में लग गया। गैल = मार्ग। भुलावना = भूल गया। लाग्यो = लगा। सँतावना = सताने। चरणाँ = चारणों में। लावणा = लगाना है।

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