मेरो नाम रामहिं राम रटैरे -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग धनाश्री





मेरो नाम रामहिं राम रटैरे ।।टेक।।
राम नाम जप लीजे प्राणी, कोटिक पाप कटैरे।
जनम जनम के खतजु पुराने, नामहि लेत फटैरे।
कनक कटोरे इम्रत भरियो, पीवत कौन नटैरे।
मीरां कहै प्रभु हरि अविनासी, तन मन ताहि पटैरे ।।200।।[1]





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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. रटै = रटता वा बार-बार स्मरण किया करता है। कोटिक = करोड़ों। खत = ऋण के कागज पर, कुकर्म संबंधी लेख। फटै = नष्ट हो जाते हैं, भुगतान हो जाते हैं। भरियो = भरा पड़ा है। नटै = इनकार करता है। पटै = एक भाव हो जाने के कारण मिल जाते हैं। ताहि = उसी ( परमात्मा ) के साथ।

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