मैं तुम पै व्रजनाथ पठायौ -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

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राग भैरव
उद्धवववचन


मैं तुम पै व्रजनाथ पठायौ। आतमज्ञान सिखावन आयौ।।
आपुहिं पुरुष आपुही नारी। आपुहिं वानप्ररथ ब्रह्मचारी।।
आपुहिं पिता आपुही माता। आपुहिं भगिनि आपुही भ्राता।।
आपुहिं पंडित आपुहिं ज्ञानी। आपुहिं राजा आपुहिं रानी।।
आपुहिं धरती आपु अकास। आपुहि स्वामी आपुहि दास।।
आपुहिं ग्वाल आपुही गाइ। आपुहि आपु चरावन जाइ।।
आपुहिं भ्रमर आपुही फूल। आतम ज्ञान बिना जग भल।।
राव रक दूजा नहि कोई। आपुहि आपु निरंजन सोई।।
इहि प्रकार जाकौ मन लागै। जरा मरन नासै भ्रम भागै।।
जोग समाधि ब्रह्म चित लाबहु। परमानंद तबहिं सुख पाबहु।।

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