मेरो बेड़ो लगाज्यो पार -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग पहाड़ी


मेरो बेड़ो लगाज्यो पार, प्रभुजी मैं अरज करूँ छूँ ।।टेक।।
या[1] भव में मैं बहु दुख पायो, संसा सोग निवार ।
अष्ट करम की तलब लगी है, दूर करो दुख भार ।
यो संसार सब बह्यो जात है, लख चौरासी री धार ।
मीराँ के प्रभु गिरधर नागर, आवागमन निवार ।।133।।[2]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. इण
  2. बेड़ो = नाव, जीवन। करूँ छूँ = करती हूँ। संसा सोग = संशय व शोक, दुःख। निवार = दूर कर। अष्ट करम की तलब लगी है = सांसारिक व्यवहारों में नित्यशः फँसना पड़ रहा ( ? )। लख... धार = चौरासी लाख प्रकार की योनियों में। विशेष - उस ‘अष्टकरम’, कदाचित्, वे ‘अष्टपाश’ ही हैं जिन्हें ‘कुलार्णव तंत्र’ ने घृणा, लज्जा भयंशंका जुगु सा चेतिपंचमी। कुलं शीलं तथा जाति, रष्टौ पाशाः प्रकीर्तिताः ।।’’ कह कर गिनाया है।

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