टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इण
- ↑ बेड़ो = नाव, जीवन। करूँ छूँ = करती हूँ। संसा सोग = संशय व शोक, दुःख। निवार = दूर कर। अष्ट करम की तलब लगी है = सांसारिक व्यवहारों में नित्यशः फँसना पड़ रहा ( ? )। लख... धार = चौरासी लाख प्रकार की योनियों में। विशेष - उस ‘अष्टकरम’, कदाचित्, वे ‘अष्टपाश’ ही हैं जिन्हें ‘कुलार्णव तंत्र’ ने घृणा, लज्जा भयंशंका जुगु सा चेतिपंचमी। कुलं शीलं तथा जाति, रष्टौ पाशाः प्रकीर्तिताः ।।’’ कह कर गिनाया है।
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