अब मैं सरण तिहारी जी -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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राग भैरवी


अब मैं सरण तिहारी जी, मोहिं राखो कृपानिधान।।टेक।।
अजामील अपराधी तारे, तारे नीच सदान ।
जल डूबत गजराज उबारे, गणिका चढ़ी विमान ।
और अधम तारे बहुतेरे, भाखत संत सुजान ।
कुबजा नीच भीलणी तारी, जानै सकल जहान ।
कहँ लगि कहूँ गिणत नहिं आवै, थकि रहै बेद पुरान ।
मीराँ कहै मैं सरण रावली, सुनियो दोनों कान ।।132।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अजामील = एक प्रसिद्ध भक्त। सदान = भक्त सदन कसाई। गजराज = भक्त गजेन्द्र। गणिका = भक्त वेश्या। कुवजा व भीलनी = भक्तों के नाम। भीलनी = शवरी ( देखो- पद 187 )। रावली = आपकी। दोनों कान = भली-भाँति दोनो कान लगाकर।

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