मैं अपणे सैया संग सांची -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

Prev.png
अपना मार्ग


राग मालकोस


मैं अपणे सैया सँग साँची ।। टेक ।।
अब काहे की लाज सजनी, परगट है नाची ।
दिवस भूख न चैन कबहूँ, नींद निसि नासी ।
बेधि वार पार हैगो, ग्‍यान गुह गाँसी ।
कुल कुटंबी आन बैठे, मनहु मधुमासी ।
दासी मीराँ लाल गिरधर, मिटी जग हाँसी ।।22।।[1]

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सैयाँ = स्वामी, प्रियतम। परगट है = खुलकर। काहेकी = कैसी। ( देखो - ‘मेोहन लाल के रँग राची।.... यह जिय जसहु भले सिर ऊपर, हौं नु प्रगट ह्रै नाची, - हित हरिवंश )। वेधि...ह्नैगो = भीतर प्रवेश कर गया। गुह = गुह्म, गूढ़। गाँसी = तीर व बछीं की नोक अथवा भेद की बात। वेधि... गाँसी ज्ञान की भेद भारी वा रहस्यमयी बात अंतरात्मा तक प्रवेश कर गई। आन = आकर। मधुमासी = मधुमक्खियाँ। जगहाँसी = लोकलाज।

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः