मैं गोबिंद गुण गाणा -मीराँबाई

मीराँबाई की पदावली

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परीक्षा


राग जौनपुरी


मैं गोबिंद गुण गाणा ।। टेक ।।
राजा रूठै नगरी राखै, हरि रूठयाँ कहँ जाणा ।
राणै भेज्‍या जहर पियाला, इमिरत करि पी जाणा ।
डबिया में भेज्‍या ज भुजंगम, सालिगराम करि जाणा ।
मीराँ तो अब प्रेम दिवांणी, साँवलिया वर पाणा ।।43।।[1]

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. गाणा = गाऊँगी। रूठ्याँ = रूठने पर। जाणा = जाना, जाया जाय। राणै = राणा ने। पी जाणा = पीजाना। डबिया = डिबिया वा पेटी। ज = जु। करिजाणा = कर देना वा रूप में समझा। दिवाणी = पगली। पाणा = पाना है।

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