मैया हौं गाइ चरावन जैहौं।
तू कहि महर नँद बाबा सौं, बडो भयो न डरैहौं।
रैता, पैता, मना, मनसुखा, हलधर सँगहि रैहौं।
बंसीबट तर ग्वालनि कैं संग, खेलत अति सुख पैहौं।
ओदन भोजन दै दधि काँवरि, भूख लगे तैं खैहौं।
सूरदास है साखि जमुन-जल सौंह देहु जु नहैहौं।।412।।