मीराँबाई की पदावली
अपना मार्ग
मेरो मन लागो हरिसूँ, अब न रहूँगी अटकी । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अटकी = रुकी हुई, इधर उधर फँसी हुई। रैदाँस जी = प्रसिद्ध संत रैदास वा उनके पंथ के कोई रैदासी महात्मा। गुटकी = घूँट। हिवड़े = हृदय में। खटकी = टीसने लगीं। परत = इकहरे, दुहरे गहने, अथवा कभी ( ? )। नटकी = अस्वीकार कर दिया है। कब की = कभी से। गेणो = गहना। दोवड़ी = गले में पहनने का एक गहना। कुटकी = छोटा टुकड़ा। चंदन की कुटकी = कंठी। साधाँ = साधुओं। ( देखो - ‘चंदन की कुटकी भली, गाड़ो भलो न काठ’ - एक मारवाड़ी दोहा और ‘चंदन की कुटकी भली, नां, बंबूर की अंबरांउ’ - कबीर )। बटकी = बाट वा मार्ग की। काण = लाज, मर्यादा। घूँघर..पटकी = घूँघट का त्याग कर दिया। परम गुराँ = परम गुरु परमात्मा के। लुटकी = लटक कर , झुक कर वा लोट कर।
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