मीराँबाई की पदावली
अपनी टेक राग गुनकली
मैं तो गिरधर के घर जाऊँ ।। टेक ।। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ म्हाँरो = मेरा। साँचो = वास्तविक। लुभाऊँ = मुग्ध हो जाती हूँ। रैण...तबही = राज होते ही। रैण दिना = रात दिन, बराबर। ज्यूँ त्यूँ = जिस किसी भी प्रकर से क्यों न हो। दे = दे देवे। पल = एक क्षण के लिये भी। रह ऊँ = रह सकती हूँ।
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