मैं कह आजु नवै री आई -सूरदास

सूरसागर

दशम स्कन्ध

Prev.png
राग धनाश्री


मैं कह आजु नवै री आई।
बहुतै आदर करति सबै मिलि, पहुने की पहुनाई।।
कैसी बात कहति तू राधा, बैठन कौं नहिं कहियै।
तुम आईं अपनै घर तैं ह्याँ, हमहुँ मौन धरि रहियै।।
जानि लई बृषभानु-सुता हँसि, तरक कह्यौ तुम कीन्हौ।
सूरदास ता दिन कौ बदलौ, दाउँ आपनौ लीन्हौ।।1747।।

Next.png

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                                 अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र    अः