विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
4.वसुदेवजी को नारद जी के द्वारा ज्ञानोपदेश
जिसका पालन करके मनुष्य सब प्रकार के भ्रमों से, संसार के भय से छूट जाता है, वह भागंवत धर्म क्या है, आप मुझे सुनाइये। मैंने पहले भी भगवान की आराधना की थी। उस समय उनकी लीला से मोहित होकर मैंने उनसे ज्ञान नहीं माँगा, उनको इस पुत्र रूप से माँग लिया। इसलिए वे पुत्र रूप में आ गये हैं। अब इस रूप मे मैं उनसे यह ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकता। आप तो सन्त हैं, सन्त लोग ही यह ज्ञान दे सकते हैं। अतः आप मुझे संसार सागर से पार जाने का ज्ञान कराइए। वसुदेव जी ने देवर्षि नारद जी से ऐसा निवेदन किया। वसुदेव जी भगवान के स्वरूप तथा गुणो का श्रवण करना चाहते हैं, यह सुनकर-
नारद जी स्वयं भगवान के गुणों के स्मरण में तन्मय हो गए। उनका हृदय प्रसन्नता से भर गया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विवरण | पृष्ठ संख्या |