विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
1.शौनक आदि ऋषियों के प्रश्न
अब, करुणा का अर्थ क्या होता है? इसे सामान्य दया नही समझ लेना। जैसे कोइै भिखारी भीख माँग रहा हो, उसको एक रोटी दे दी, वह भी इसलिए दी क्योंकि मैं उसे खा नहीं सकता था। ऐसा करके हम समझते हैं कि हमने बड़ी दया कर दी उसके ऊपर। बोले नहीं, दया-करुणा इस प्रकार की नहीं होती है। तो करुणा क्या होती है? जिसके साथ एकत्व का अनुभव करते हैं, उसे दुःखी देखने पर, उसके दुःख को अपना दुःख समझकर, उसे दूर करने के लिए हमारे मन मे जो भाव आता है उसे ‘करुणा’ कहते हैं। जैसे, माता-पिता को अपने बच्चे का दुःख देखकर उसके ऊपर कैसी करुणा आती है कि यह रो रहा है, इसे दुःख हो रहा है, इसका दुःख हमसे देखा नहीं जाता। इस भाव को करुणा कहते हैं। इसी करुणा के कारण यहाँ पर शुकदेवजी ने कथा कही है। अन्यथा, वे तो आत्मस्वरूप में रमे हुए थे, उन्हें किसी की या कथा करने की कोई आवश्यकता नहीं थी।
सूत जी कहते हैं- भगवान् नारायण और नरोत्तम को, (नर-नारायण का अवतार ज्ञान का अवतार बताया जाता है। उनका वर्णन आगे आने वाला है।) सरस्वती जी को तथा व्यास जी को नमस्कार करके फिर जय-जयकार करना चाहिए। फिर कहते हैं- आपने बहुत अच्छा प्रश्न पूछा है। आगे के कुछ श्लोक ध्यान देने योग्य हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि अन्य सब बिना ध्यान देने योग्य हैं। इसका अर्थ यह नहीं कि अन्य सब बिना ध्यान दिए सुन सकते हैं। कहने का अर्थ है, यहाँ विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण बात बतायी जा रही है। देखो, हमारे शास्त्रों में कथन की एक प्रणाली, एक शैली है। पहले एक बात संक्षेप में पूछी जाती है और उसका उत्तर भी संक्षेप में, सिद्धान्त रूप में दिया जाता है। यदि कोई उसको सिद्धान्त रूप में समझ ले, तो और अधिक विस्तार करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन हम सब जानते हैं कि केवल सिद्धान्त बताया जाए तो सबको बात भली प्रकार से समझ में नहीं आती। उसके लिए दृष्टान्त भी देना पड़ता है। दृष्टान्त से बात सरलता से समझ में आ जाती है। इसीलिए बच्चों की किताबों में भी कुत्ते-बिल्ली आदि के चित्र दिये जाते है, क्योंकि ये सब देखे हुए होते हैं। उन्हें बच्चा चित्र से पहचान लेता है, और फिर वहाँ लिखा हुआ शब्द क्या है यह भी समझ लेता है[2]. अतः पहले सिद्धान्त बताते हैं और उसके बाद अनेक प्रकार के दृष्टान्त देते हैं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रमांक | विवरण | पृष्ठ संख्या |
वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज