गर्ग संहिता
बलभद्र खण्ड: अध्याय 5
श्रीबलराम और श्रीकृष्ण का प्राकट्य दुर्योधन ने कहा- मुनिराज ! पूर्वजन्म में मैं भगवान संकर्षण का भक्त था, अत: मैं धन्य हूँ। आपने मुझे यह स्मरण करा दिया। साथ ही भगवान वासुदेव की प्रभावयुक्त परम महिमा भी आपने सुनायी। अब यह बतलाने की कृपा कीजिये कि भगवान बलराम और श्रीकृष्णचन्द्र ने पृथ्वी पर अवतीर्ण होकर अपने पिता की नगरी मथुरा से व्रज में कैसे गमन किया और व्रज वासियों से वे गुप्त रूप में किस प्रकार रहे। प्राडविपाक मुनि बोले- यादवों की पुरी मथुरा में राजा उग्रसेन थे। एक समय उनके बड़े भाई देवक की कन्या देवकी से वसुदेव जी का विवाह हुआ। विवाह के उपरान्त वर-वधू की विदाई के समय उग्रसेन नन्दन कंस स्वयं वसुदेव देवकी का रथ चलाने लगा। उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘अरे निर्बोध ! तू जिसका रथ चला रहा है, उसी का आठवाँ गर्भ तेरा विनाश करेगा। यह सुनते ही कालनेमि-तनय महान दैत्य कंस हाथ में तलवार लेकर बहिन देवकी का वध करने को तैयार हो गया। उसी क्षण वसुदेवजी ने कंस को समझाकर कहा कि ‘तुम इसका वध मत करो। जिनसे तुमको और मुझको भी भय हो रहा है, देवकी के गर्भ से उत्पन्न वे जितने पुत्र होंगे, मैं सबको लाकर तुम्हें दे दूंगा। वसुदेवजी की बात पर विश्वास करके कंस ने देवकी, वसुदेव दोनों को कारागार में बंद करवा दिया और वह निश्चित हो गया। तदनन्तर देवकी के पहला पुत्र उत्पन्न हुआ। वसुदेवजी ने उसे तुरंत लाकर कंस को दे दिया। कंस ने समझा, वसुदेव जी बड़े सत्यवादी हैं। अतएव उसने लड़के का वध नहीं किया। इसके उपरान्त उसके यहाँ नारद जी पधारे और उन्होंने कहा- ‘जैसे अंडों की टेढ़ी चाल है, वैसे ही देवताओं की चाल की चाल भी उलटी होती है। सम्भव है, इधर-उधर से गिनने पर यही लड़का आठवाँ माना जाय और तुम्हारा शत्रु बने। विशेष बात तो यह है कि सारे यादवों के रूप में देवता ही अवतीर्ण हैं और वे सभी तुम्हारा वध चाहते हैं। नारदजी से इस प्रकार की बात सुनी, तब से कंस देवकी से उत्पन्न प्रत्येक लड़के को मारने लगा। उस समय कंस के भय से यादवों में भगदड़ मच गयी और वे महान कष्टों का अनुभव करने लगे। तदनन्तर देवकी के सातवें गर्भ में भगवान अनन्त का आगमन हुआ। वसुदेवजी की एक दूसरी पत्नी रोहिणी भी कंस के भय से नन्दबाबा के यहाँ गोकुल में रहा करती थी। भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा पाकर योगमाया भगवान अनन्त को देवकी के उदर से खींचकर वसुदेव पत्नी रोहिणी के गर्भ में स्थापित करने को तैयार हो गयीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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