गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 15
अनिरुद्ध और साम्बका शौर्य, माहिष्मती नरेश पर इनकी विजय श्रीगर्गजी कहते हैं– तदनन्तर इंद्रनील का पुत्र महाबली नीलध्वज तीन अक्षौहिणी सेना साथ लेकर यादवों को जीतने के लिए अपने नगर से बाहर निकला। वह अपने पिताजी की बात सुन कर यदुवंशियों के प्रति अत्यंत रोष से भरा था। उस राजकुमार को आया देख श्रीकृष्ण–पौत्र अनिरुद्ध धनुष हाथ में लेकर अकेले ही उसके साथ युद्ध करने के लिए गए, मानो इंद्र वृत्रासुर पर विजय पाने के लिए प्रस्थित हुए हों। संग्राम भूमि में जाकर अनिरुद्ध शत्रुओं के ऊपर तत्काल बाण समूहों की वर्षा करने लगे। इससे उन सबके हृदय में त्रास छा गया। फिर तो नील ध्वज के समस्त सैनिक भयभीत हो रणभूमि से भागने लगे और प्रद्युम्न कुमार ने विजय सूचक अपना शंख बजाया। अपनी सेना को भागती देख बलवान नीलध्वज धनुष टंकारता हुआ शीघ्र ही संग्राम मंडल में आया। उसने धनुष प्रत्यंचा से अपनी सेना को पुन: युद्ध में लौटने के लिए प्रेरित किया अनिरुद्ध को शत्रुओं के बीच घिरा हुआ देख साम्बके को रोष की सीमा न रही। वे एक अक्षौहिणी सेना से घिरे रोषपूर्वक धनुष टंकारते हुए वहाँ आ पहुँचे। उन्होंने बीस बाणों से नीलध्वज को और पाँच–पाँच बाणों से रथों, हाथियों, घोड़ों और पैदलों को घायल कर दिया। साम्ब के बाणों की चोट खाकर वे सब के सब धराशायी हो गए। हाथियों के ऊपर हाथी, रथों के ऊपर रथ, घोड़ों पर घोड़े और पैदल मनुष्यों पर मनुष्य गिरने लगे। क्षणभर में वहाँ की भूमि पर रक्त की धारा बह चली। हाथी, घोड़े, रथ और पैदल छिन्न–भिन्न होकर वहाँ पड़े थे। राजन ! फिर अपनी सेना में भगदड़ मची हुई देख नीलध्वज जिसके मन में यादवों को जीतने की बड़ी इच्छा थी, धनुष लेकर बाणों की वर्षा करता हुआ शत्रु सेना के सम्मुख आया। राजन ! युद्ध स्थल में पहुँच कर रोष से भरे हुए उस राजकुमार ने दस बाणों से साम्ब को उसी तरह काट दिया, जैसे कोई दुर्वचन द्वारा प्रेम–संबंध को छिन्न–भिन्न कर दे। बलवान इंद्रनील कुमार ने चार बाणों से साम्ब के चारों घोड़े मार दिए, दो बाणों से उनके रथ की ध्वजा काट गिराई, सौ बाणों से रथ की धज्जियाँ उड़ा दीं और एक बाण से सारथि को काल के गाल में भेज दिया। इस प्रकार साम्ब को रथहीन करके राजकुमार नीलध्वज ने पुन: सामने आई हुई साम्ब की सेना को बाणों से घायल करना आरंभ किया। इतने में ही नील ध्वज की सारी सेना भी लौट आई और युद्धस्थल में यादवों की विशाल वाहिनी को तीखे बाणों से गायल कर दिया। फिर तो रण क्षेत्र में दोनों सेनाओं के बीच घमासान युद्ध होने लगा। खड्ग, परिघ, बाण, गदा और तीखी शक्तियों के द्वारा उभय पक्ष के सैनिक परस्पर प्रहार करने लगे। साम्ब दूसरे रथ पर आरूढ़ हो सुदृढ़ धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर रण क्षेत्र में आए। वे बड़े बलवान थे। उन्होंने सौ बाण मार कर नीलध्वज के रथ को चूर–चूर कर दिया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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