गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 34
दैत्यों और यादवों का घोर युद्ध, बल्वल, कुनंदन तथा अनिरुद्ध के अद्भुत पराक्रम श्रीगर्गजी कहते हैं- राजन ! तत्पश्चात् बल्वल ने बड़ी प्रसन्नता के साथ पुत्र को रथ पर चढ़ाया और उसके साथ ही अपनी सेना लेकर बड़ी उतावली के साथ वह युद्ध के लिए चला। उसके समस्त सैनिक नाना प्रकार के शस्त्र लिए हुए थे। वे अनेक प्रकार के वाहनों पर बैठे थे तथा भाँति-भाँति के कवचों से सुसज्जित हो नाना प्रकार के रूपों में बड़े भयंकर दिखाई देते थे। वे गजराज के समान हष्ट–पुष्ट शरीर वाले और सिंह के समान पराक्रमी थे। वे पृथ्वी को कंपित करते हुए वृष्णिवंशी यादवों के सम्मुख गए। उन बहुत से दैत्यों को आया हुआ देख अनिरुद्ध शंकित हो गए और उन्होंने समस्त यादवों की रक्षा के लिए चक्रव्यूह की रचना की। चारों और से शूरवीर यादव सब प्रकार के अस्त्र–शस्त्र लिए हाथी, घोड़े और रथों द्वारा खड़े होकर बड़ी शोभा पाने लगे। राजन् ! उनके मध्यभाग में इंद्रनील आदि राजा खड़े हुए। उनके बीच में अक्रूर और कृतवर्मा आदि अच्छे वीर स्थित हुए। राजेंद्र ! उनके बीच में गद आदि श्रीकृष्ण के भाई विराजित हुए। उनके मध्य भाग में साम्ब और दीप्तिमान आदि महान वीर खड़े हुए । पृथ्वीनाथ ! इस प्रकार चक्रव्यूह बना कर उसके बीचों बीच प्रद्युम्न कुमार अनिरुद्ध कवच धारण करके खड़े हुए। नरेश्वर ! वहाँ सागर के तटपर यादवों के साथ दानवों का बड़ा घोर युद्ध हुआ, मानो उनके समुद्रों के साथ बहुत–से दूसरे समुद्र जूझ रहे हों। उस संग्रामस्थल में रथीरथियों के साथ, हाथी–सवार हाथी सवारों के साथ, अश्वारोही अश्वारोहियों के साथ और पैदल वीर पैदल वीरों के साथ परस्पर युद्ध करने लगे। राजन् ! तीखे बाणों, ढाल तलवारों, गदाओं, ऋषियों, पाशों, फरसों, शतघ्नियों और भुशुण्डियों द्वारा यादव वीर बल्वल के सैनिकों का वध करने लगे। उनकी मार खाकर भयभीत हो सब के सब अपना रणस्थल छोड़कर भाग चले। सैनिकों के पैरों से उड़ी हुई बहुत सी धूल राशि ने आकाश और सूर्य को ढक दिया। सब ओर अंधकार फैल गया और उस अंधेरे में समस्त महादैत्य युद्ध से पीठ दिखाकर पलायन करने लगे। यादवों के सायकों से घायल होकर उन असुरों में से कितने ही कुएँ में गिर गए, कई औंधे मुँह होकर गड्ढे में गिर पड़े और कितने ही पोखरे तथा बावली में डूब गए। अपनी सेना में भगदड़ मची देख बल्वल रोष से भर गया और चारों मंत्री कुमारों तथा अपने पुत्र के साथ यादवों का सामना करने के लिए आया। उस महासमर में बल्वल के साथ अनिरुद्ध, दुर्नेत्र के साथ बृहद्बाहु, दुर्मुख के साथ बलवान अरुण, दु:स्वभाव के साथ न्यग्रोध, दुर्मुद के साथ कवि तथा कुनंदन के साथ श्रीकृष्ण पुत्र सुनंदन युद्ध करने लगे । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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