गर्ग संहिता
अश्वमेध खण्ड : अध्याय 20
बक और भीषण की पराजय तथा यादवों का घोड़ा लेकर आकाश मार्ग से लौटना श्रीगर्गजी कहते हैं- राजन् ! तदनन्तर असुरों के बीच मं खड़े होकर राक्षस बक ने भीषण से युद्ध का अभिप्राय ( कारण ) पूछा- बेटा ! इन तिनकों के समान यादवों के साथ किसलिए युद्ध हुआ था, जिससे तुम मूर्च्छित हो गए और बहुत से राक्षस मागे गए ? यह तो बड़े आश्चर्य की बात है। राजन् ! बक के इस प्रकार पूछने पर भीषण ने मुँह नीचा करके अश्वमेध के घोड़े को पकड़ लाने के संबंध में सारी बात बताई। पुत्र की बात सुनकर बक ने अपनी गदा ले ली और यादव सेना में उसी प्रकार प्रवेश किया, जैसे जंगल में दावानल प्रकट हो जाता है। जैसे सिंह सोये हुए मृगों को रौंद डालता है, उसी प्रकार सामने आए हुए यादवों को बक ने दोनों पैरों से, हाथों से, भुजाओं से और गदा के आघात से कुचल डाला। वह घोड़ों को पकड़कर आकाश में फेंक देता था, हाथियों तथा रथों की भी यही दशा करता था। बलवान बक युद्ध में मनुष्यों को अपना भक्ष्य बनाता हुआ जोर–जोर से गर्जना करने लगा। यदुकुल तिलक वज्रनाभ ! उस राक्षस की गर्जना से लोकोंसहित संपूर्ण विश्व गूंज उठा। भूमंडल की जनमंडली बहरी हो गई। उसके इस विपरीत युद्ध से समस्त यादव हाहाकार करने लगे और मन में अत्यंत खिन्न हो गए। उस दुरात्मा राक्षस से अपनी सेना को अत्यंत पीड़ित होती देख प्रचण्ड पराक्रमी जाम्बवती नंदन साम्ब ने पांच नाराच ले अपने धनुष पर रखकर तत्काल ही बक को लक्ष्य करके छोड़े। मानद नरेश ! वे बाण उसके शरीर को विदीर्ण करते हुए तत्काल भूतल में घुस गए और भोगवती गंगा का चल पीने लगे। राजन ! उन बाणों के आघात से वक पृथ्वी को कंपित करता हुआ गिर पड़ा, किंतु पुन: उठकर मेघ गर्जना के समान सिंह नाद करने लगा। तब पुन: जाम्बवती कुमार ने उसे पाँच बाण मारे। उन बाणों के आघात से चक्कर काटता हुआ बक लंका में जा गिरा। नरेश्वर ! वहाँ से आकर उस राक्षस ने अग्नि के समान प्रज्वलित तीन शिखाओं वाले त्रिशूल को लेकर साम्ब पर दे मारा, जैसे किसी फूल से हाथी पर आघात किया हो। त्रिशूल को आते देख साम्ब ने शीघ्र ही बाण मार कर अनायास ही युद्ध स्थल में उसके टुकड़े–टुकड़े कर डाले, जैसे गरुड़ ने किसी नाग को छिन्न–भिन्न कर डाला हो। महाराज ! तब रणदुर्मद बक ने भारी गदा लेकर साम्ब के घोड़ों और सारथि को मार डाला। फिर रथ और पताका को भी चूर–चूर करके वह साम्ब से बोला– तुम दूसरे रथ पर बैठकर मेरे साथ युद्ध करो। इस समय तुम रथहीन हो, इसलिए रणभूमि में अधर्म या अन्याय से तुम्हें नहीं मारूंगा।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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