गर्ग संहिता
द्वारका खण्ड : अध्याय 3
बलदेवजी का रेवती के साथ विवाह नारदजी कहते हैं- राजन् ! इस प्रकार मैंने तुमसे भगवान द्वारका में निवास का कारण बताया। अब उन परमेश्वर बन्धुओं के विवाह आदि के सारे वृतान्त सुनाउँगा। मिथिलेश्वर ! तुम पहले बलदेवजी के विवाह का वृतान्त सुनो, जो समस्त पापों को हर लेने वाला तथा आयु की वृद्धि करने वाला उत्तम पापों को हर लेने वाला आतथा यु की वृद्धि करने वाला उत्तम साधन है। सूर्यवंश में महामनस्वी राजा आनर्त हुए, जिनके नाम से भयंकर गर्जना करने वाला समुद्र के तट पर आनर्त देश बसा हुआ था। राजा आनर्त के एक रैवत राजा के लक्षणों से सम्पन्न था। उसने कुशस्थलीपुरी का निर्माण करके वहीं रहकर राज्य शासन किया। रैवत के सौ पुत्र थे और रेवती नाम वाली एक कन्या। वह सर्वोत्तम चिरंजीवी तथा सुन्दर वर पाने की इच्छा रखती थी। एक दिन स्वर्णरत्नविभूषित रथ पर आरुढ़ हो अपनी पुत्री को भी उसी पर बिठाकर राजा रैवत भूमण्डल की परिक्रमा करने लगे। (इसी यात्रा का उद्देश्य था- पुत्री के लिये योग्य वर की खोज।) अन्ततोगत्वा राजा ने अपनी मंगलकारी ब्रह्मलोक में पदार्पण किया और वहाँ ब्रह्माजी के चरणों में शीश झुकाया। उस समय ब्रह्माजी की सभी में पूर्वचित्ति नाम की अप्सरा का गान हो रहा था, इसलिये वे एक क्षण तक चुपचाप बैठे रहे। तदनन्तर ब्रह्माजी को एकचित हुआ जानकर उनसे अपना अभिप्राय निवेदित कया। रैवत बोले- प्रभो ! आप परम पुराणपुरुष हैं ! आपसे ही इस विश्वरूपी वृक्ष का अंकुर उत्पन्न हुआ है। आप पूर्ण परमात्मा परमेश्वर हैं और अपने पारमेष्ठय धाम में सदा स्थित रहकर इस जगत की सृष्टि, पालन और संहार किया करते हैं। देव ! वेद आपके मुख हैं, धर्म हृदय है, अधर्म पृष्ठभाग है, मनु बुद्धि है, देवता अंग हैं, असुर पैर हैं और सारा संसार आपका शरीर है। आप सम्पूर्ण विश्व को अपने हाथ पर रखे हुए आंवले की भाँति प्रत्यक्ष देखते हैं और जैसे सारथि रथ को अभीष्ट मार्ग में ले जाता है, उसी प्रकार आप संसाररूपी रथ को तीनों गुणों अथवा त्रिगुणात्मक विषयों की ओर ले जाने में समर्थ हैं। आप एकमात्र अद्वितीय हैं तथा जैसे मकड़ी अपने स्वरूप से ही एक जाला उत्पन्न करती और फिर उसे ग्रस लेती है उसी प्रकार आप जगतरूपी एक जाल बुन रहे हैं और समय महेन्द्र का निवास स्थान स्वर्ग लोक आपके वश में हैं; फिर सार्वभौम राज्य और योगसिद्धि आपके अधीन हों, इसके लिये तो कहना ही क्या है। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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