गर्ग संहिता
मथुराखण्ड : अध्याय 7
मल्ल क्रीड़ा महोत्सव की तैयारी, रंगद्वार पर कुवलया पीड़ का वध तथा श्रीकृष्ण और बलराम का चाणूर और मुष्टिक के साथ मल्लयुद्ध में प्रवृत्त होना श्रीनारद जी कहते हैं- राजन ! रजक के मस्तक का छेदन, धनुष का भंजन तथा रक्षकों के वध का समाचार सुनकर कंस को बडा भय हुआ। तत्काल उसके सामने अपशकुन प्रकट हुए। उसके बायें अंग फड़कने लगे, उसे स्वप्न में अपना अंग-भंग दिखायी देने लगा। इससे दैत्यों के राजा कंस को रातभर नींद नहीं आयी। उसने स्वप्न में यह भी देखा था कि वह प्रेतों से घिरा हुआ है। उसके सारे शरीर में तेल मला गया है तथा वह नंगधडंग जापाकुसुम की माला पहिने भैंस पर चढकर दक्षिण दिशा की ओर जा रहा है। प्रात:काल उठकर उसने कार्यकर्ताओं को बुलवाया और उन्हें मल्लक्रीड़ा महोत्सव प्रारम्भ करने की आज्ञा दी। सभामण्डप के सामने ही विशाल प्रांगण से युक्त स्थान पर रंगभूमि की रचना की गयी। वहाँ सोने के खंभे लगाये गये, सुनहरे चँदोवे ताने गये और उनमें मोतियों की लडियाँ लटका दी गयीं। नरेश्वर ! सुन्दर सोपानों और सुवर्णमय मंच्चों से वह रंगभूमि बड़ी शोभा पाने लगी। राजा के लिये रत्नमय सुन्दर मंच स्थापित किया गया। उस पर इत्र लगाया गया। उस मंच पर इन्द्र का सिंहासन लगा दिया गया। उसके उपर सुन्दर बिछावन और तकिये सुसज्जित कर दिये गये। चन्द्रमण्डल के समान मनोहर दिव्य छत्र तथा हीरे की बनी हुई मूठवाले हंस की-सी आभा से युक्त व्यजन और चामरों से सुशोभित विश्वकर्मा द्वारा रचित वह दस हाथ उँचा सिंहासन बड़ा ही चित्ताकर्षक था। उस पर आरूढ़ हो राजा कंस पर्वत शिखर पर बैठे हुए सिंह के समान शोभा पा रहा था। वहाँ गायकों द्वारा गीत गाये जाने लगे, वारांग्नाएँ नृत्य करने लगीं और मृदंग पटह, ताल, भेरी तथा आनक आदि बाजे बजने लगे। राजन् ! छोटे-छोटे मण्डलों के शासन नरेश तथा नगर और जनपद के निवासी बड़े लोग पृथक-पृथक मंच पर बैठकर मल्लयुद्ध देख रहे थे। चाणूर, मुष्टिक, कूट, शल और तोशल आदि पहलवान व्यायामोपयोगी मुद्गगरों से युक्त हो परस्पर युद्ध का अभ्यास कर रहे थे। कंस के द्वारा बुलाये गये नन्दराज आदि गोप मस्तक झुकाये राजा को उत्तम भेंट अर्पित करके एक-एक मंच का आश्रय ले बैठ गये। नरेश्वर ! वहाँ यदुराज कंस के लिये बाणासुर, जरासंध और नरकासुर के नगर से भी उपहार आये। अन्य जो शम्बर आदि भूपाल थे, उनके पास से भी बहुत-सी भेंट-सामग्रियाँ आयीं। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |