गर्ग संहिता
माधुर्य खण्ड : अध्याय 6
अयोध्यापुरवासिनी स्त्रियों का राजा विमल के यहाँ पुत्री रूप से उत्पन्न होना, उनके विवाह के लिये राजा का मथुरा में श्रीकृष्ण को देखने के निमित्त दूत भेजना, वहाँ पता न लगने पर भीष्मजी से अवतार-रहस्य जानकर उनका श्रीकृष्ण के पास दूत प्रेषित करना श्रीनारदजी कहते हैं- राजन ! यों कहकर जब साक्षात महामुनि याज्ञवल्क्य चले गये, तब चम्पका नगरी के स्वामी राजा विमल को बडा हर्ष हुआ। अयोध्यापुरवासिनी स्त्रियाँ श्रीराम के वरदान से उनकी रानियों के गर्भ से पुत्री रूप में प्रकट हुईं। वे सभी राजकन्याएँ बड़ी सुन्दरी थीं। उन्हें विवाह के योग्य अवस्था में देखकर नृपशिरोमणि चम्पकेश्वर को चिन्ता हुई। उन्होंने याज्ञवल्क्यजी की बात को याद करके दूत से कहा । विमल बोले- दूत ! तुम मथुरा जाओ और वहाँ शूरपुत्र वसुदेव के सुन्दर घर तक पहुँचकर देखो। वसुदेव का कोई बहुत सुन्दर पुत्र होगा। उसके वक्ष:स्थल में श्रीवत्स का चिन्ह होगा, अंगकान्ति मेघमाला की भाँति श्याम होगी तथा वह वनमालाधारी एवं चतुर्भुज होगा। यदि ऐसी बात हो तो मैं उसके हाथ अपनी समस्त सुन्दरी कन्याएँ दे दूँगा। श्रीनारदजी कहते हैं- राजन् ! महाराज विमल की यह बात सुनकर वह दूत मथुरापुरी में गया ओर मथुरा के बड़े-बड़े लोगों से उसने सारी अभीष्ट बातें पूछीं। उसकी बात सुनकर मथुरा के बुद्धिमान लोग, जो कंस के डरे हुए थे, उस दूत को एकान्त में ले जाकर उसके कान में बहुत धीमे स्वर से बोले । मथुरानिवासियों ने कहा- वसुदेव के जो बहुत-से पुत्र हुए, वे कंस के द्वारा मारे गये। एक छोटी-सी कन्या बच गयी थी, किंतु वह भी आकाश में उड़ गयी। वसुदेव यहीं रहते हैं, किंतु पुत्रों से बिछुड़ जाने के कारण उनके मन में बड़ा दु:ख है। इस समय जो बात तुम हम-लोगों से पूछ रहे हो, उसे और कहीं न कहना, क्योंकि इस नगर में कंस का भय है। मथुरापुरी में जो वसुदेव की संतान के संबंध में कोई बात करता है, उसे उनके आठवें पुत्र का शत्रु कंस भारी दण्ड देता है। श्रीनारदजी कहते हैं- राजन ! जनसाधारण की यह बात सुनकर दूत चम्पकापुरी में लौट गया। वहाँ जाकर राजा से उसने वह अदभुत संवाद कह सुनाया। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
क्रम संख्या | विषय | पृष्ठ संख्या |