प्रभा तिवारी (वार्ता | योगदान) ('<div class="bgsurdiv"> <h4 style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">'''श्रीमद्भागवत प्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
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15:34, 18 मार्च 2018 के समय का अवतरण
विषय सूची
श्रीमद्भागवत प्रवचन -स्वामी तेजोमयानन्द
8.कपिल भगवान से माता देवहूति का ज्ञानार्जन
आगे कहते हैं कि यह जीव (दैवात्) नरक में जाता है और फिर वहाँ से बाहर आता है, तब पहले वह जीव पुरुष के शरीर में आता है - वीर्य के रूप में। फिर जब उस वीर्य की स्थापना की जाती है - स्त्री देह में, तब उसका गर्भाधान होता है। उस गर्भ का भी यहाँ पर पूरा-पूरा वर्णन किया गया है। पहले दिन क्या होता है, तीसरे दिन क्या होता है, फिर एक मास में क्या होता है, पिण्ड कब बनता है, इन्द्रियाँ कब प्रकट होती हैं इत्यादि। यहाँ इन सब बातों का वर्णन किया गया है। यहाँ पर गर्भावस्था का जो वर्णन है, उसे देखकर चिकित्साशास्त्र वाले भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं, इतना विस्तृत वर्णन किया गया है। और फिर कहते हैं कि वह जीव गर्भावस्था में ऋषि के समान होता है। उसको ज्ञान होता है कि कितने-कितने जन्मों में उसने कौन-कौन सी यातनाएँ भोगी हैं और -
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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