गर्ग संहिता
मथुराखण्ड : अध्याय 1
कंस बोला- हे कूट ! हे तोशल ! हे महाबली चाणूर ! बलराम और कृष्ण-दोनों मेरी मृत्यु हैं, यह बात नारदजी ने मुझे भलीभाँति समझा दी है। अत: वे दोनों जब यहाँ आ जायँ, तब तुम सब लोग मल्लों के खेल (कुश्ती के दाव-पेच) दिखाते हुए उन्हें मार डालना। अब शीघ्र ही मल्लभूमि (अखाडे़) को सुन्दर ढंग से सुसज्जित कर दो। महावत ! रंगशाला के द्वार पर मदमत्त हाथी कुवलयापीड को खड़ा रखो और मेरे शत्रु जब आ जायँ, तो उन्हें मरवा डालो। कार्यकर्ता जनो ! आगामी चतुर्दशी को शान्ति के लिये धनुर्यज्ञ करना है और अमावास्या के दिन यहाँ मल्लयुद्ध होगा। नारदजी कहते हैं- राजेन्द्र ! आत्मीयजनों से इस प्रकार कहकर कंस ने अक्रूर को तुरंत अपने पास बुलवाया और एकान्त स्थान में मंत्रिजनों को प्रिय लगने वाली मंत्रणा की बात कही। गोपगण नन्दराज आदि के साथ भेंट लेकर यहाँ आयें और उन्हीं के साथ मथुरा नगरी दिखाने के बहाने उन दोनों को रथ पर बिठाकर शीघ्र यहाँ ले आओ। यहाँ आने पर हाथी से अथवा बड़े-बड़े पहलवानों के द्वारा उन दोनों बालकों को मरवा डालूँगा। उसके बाद वसुदेव की सहायता करने वाले नन्दराज, वृषभानुवर, नौ नन्दों और उपनन्दों को मौत के घाट उतार दूँगा। |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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