गर्ग संहिता
वृन्दावन खण्ड : अध्याय 5
वकासुर का उद्धार श्री नारद जी कहते हैं- एक दिन बलराम तथा ग्वाल-बालों के साथ बछड़े चराते हुए श्री हरि ने यमुना के निकट आये हुए वकासुर को देखा। वह श्वेत पर्वत के समान ऊँचा दिखायी देता था। बड़ी-बड़ी टाँगें और मेघ-गर्जन के समान ध्वनि ! उसे देखते ही ग्वाल-बाल ड़र के मारे भागने लगे। उसकी चोंच वज्र के समान तीखी थी। उसने आते ही श्री हरि को अपना ग्रास बना लिया। यह देख सब ग्वाल-बाल रोने लगे। रोते-रोते वे निष्प्राण-से हो गये। उस समय हाहाकार करते हुए सब देवता वहाँ आ पहुँचे। इन्द्र ने तत्काल वज्र चलाकर उस महान वक पर प्रहार किया। वज्र की चोट से वकासुर धरती पर गिर पड़ा, किंतु मरा नहीं। वह फिर उठकर खड़ा हो गया। तब ब्रह्मा जी ने भी कुपित होकर उसे ब्रह्मदण्ड से मारा। उस आघात से गिर कर वह असुर दो घड़ी तक मूर्छित पड़ा रहा। फिर अपने शरीर को कँपाता हुआ जँभाई लेकर वह बड़े वेग से उठ खड़ा हुआ। उसकी मृत्यु नहीं हुई। वह बलवान दैत्य मेघ के समान गर्जना करने लगा। इसी समय त्रिनेत्रधारी भगवान शंकर ने उस महान असुर पर त्रिशूल से प्रहार किया। उस प्रहार से दैत्य की एक पाँख कट गयी, तो भी वह महाभंयकर असुर मर न सका। तदनंतर वायुदेव ने वकासुर पर वायव्यास्त्र चलाया; उससे वह कुछ ऊपर की ओर उठ गया, परंतु पुन: अपने स्थान पर आकर खड़ा हो गया। इसके बाद यम ने सामने आकर उस पर यम दण्ड से प्रहार किया, परंतु प्रचण्ड-पराक्रमी वकासुर की उस दण्ड से भी मृत्यु नहीं हुई। यम राज का वह दण्ड भी टूट गया, किंतु वकासुर को कोई क्षति नहीं पहुँची। इतने में ही प्रचण्ड किरणों वाले चण्डपराक्रमी सूर्य देव उसके सामने आये। उन्होंने धनुष हाथ में लेकर वकासुर को सौ बाण मारे। वे तीखे बाण उसकी पाँख में धँस गये, फिर भी वह मर न सका। तब कुबेर ने तीखी तलवार से उसके ऊपर चोट की। इससे उसकी दूसरी पाँख भी कट गयी, किंतु वह दैत्यपुंगव मृत्यु को नहीं प्राप्त हुआ। तदनंतर सोम देवता ने उस महावक पर नीहारास्त्र का प्रयोग किया। उसके प्रहार से शीत पीड़िअ हो वकासुर मूर्च्छित तो हो गया, किंतु मरा नहीं; फिर उठकर खड़ा हो गया। अब अग्नि देवता ने उस महावक पर आग्नेयास्त्र से प्रहार किया; इससे उसके रोएँ जल गये, परंतु उस महादुष्ट दैत्य की मृत्यु नहीं हुई। तत्पश्चात जल के स्वामी वरूण ने उसको पाश से बाँध कर धरती पर घसीटा। घसीटने से वह महापापी असुर क्षत-विक्षत हो गया; किंतु मरा नहीं । |
टीका टिप्पणी और संदर्भ
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