(11) तजै - डगरिया में जावता
हमारा दुख दूर करना बंशी के बजैया।। टेर ।।
ग्वालन के सँग धेनु चरावे, माखन के खवैया।
वृन्दावन की कुञ्नगलिन में, रास के रचैया।। 1 ।।
नख पर गिरिवर धारन कीन्हो, गोवर्धन उठवैया।
जब जब भीड़ पड़ी भक्तन पै, धाये कृष्ण कन्हैया।। 2 ।।
जमुनाजी में गेंद गिरी जब, ग्वालन टेर सुनैया।
कालीदह में कूद पड़े प्रभु, नाग के नथैया।। 3 ।।
द्रुपद सुता की सभा बीच में, तुम हो लाज रखैया।
दुःशासन को मान मारे, चीर के बढैया।। 4 ।।
वंशीवट पै रास रचायो, नाचे कृष्ण कन्हैया।
राधा के सँग सब बृजबाला, हो रही ताता थैया।। 5 ।।