(2)
रुनक झुनक पग नेवर बाजे, गजानंद नाचे।। टेर ।।
पिता तुम्हारौ है शिव शंकर, नंदीश्वर राजे।
मात तुम्हारी है श्री गिरिजा, सिंघ चढ़ी गाजे।
सुण्ड सुण्डाला दुन्द दुन्दाला, एक दंत राजे।
गल पुष्पन को हार विराजे कोटि काम लाजे।
बिघन निवारन सब सुख कारन राजन पति राजे।
‘तुलसिदास’ गनपति को सुमिरे, दुख दारिद भाजे।
(3)
विघ्न निवारन सब सुख कारन भक्त उद्धारन ग्यान धनम्।
दैत्य विदारन परशा धारन सिद्धि कारन दैव वरम्।।
गिरिजा माता षडमुख भ्रता शंकर ताता कीर्ति करम्।
भूसुर रक्षक मोदक भक्षक ग्यानी लक्षक बुद्धि वरम्।।
शुण्डा दण्डम् तेज प्रचण्डम् इन्दु खण्डम् भाल धरम्।
गज मुख मण्डित ओज अखण्डित पूरन पण्डित ग्यान परम्।।
गिरिजा नंदन भवदुख भंजन काटत बंधन पाश धरम्।
द्वन्द्व निवारन मंगल कारन करि वर धारन शीश वरम्।
अति शुभ लक्षण वीर विचक्षण जन प्रन रक्षण सिद्धि करम्।
जय गन नायक शुभ वर दायक दास सहायक विघ्न हरम्।।