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कथा रस वृन्दावन सों आयो।
राम रस माधोवन सों आयो।। टेर ।।
सब भक्तन के पीवन खातिर, यदुपति आप पठायो।
कीन्ही कृपा जानि जन अपना, वचन सुधारस पायो।। 1 ।।
शिव सनकादि शेष मुनि नारद, वेद व्यास जस गायो।
शुक प्रहलाद गोकर्ण से ग्यानी, इस जग में फैलायो।। 2 ।।
प्रेत जोनि से मुक्त कियो पुनि, नृप वैकुंठ पठायो।
गायो सुन्यो प्रेम से बाँच्यो, ‘सूर’ अमर पद पायो।। 3 ।।