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मैं तो औराँ ने नहिं परणूँ मेरी माय, म्हारो बर साँवरियो।। टेर ।।
म्हारो बर नटवर गिरधारी, ताराँ बिचलो चान।
जड़ चेतन सबही ने मोहे, छेड़े मुरली तांन।।
बालो गोप्याँ रे घर माखन दही खाय।। म्हारो।। 1 ।।
म्हारो बर नटवर गिरधारी, मुकुट धरे सिर मौर।
श्याम बरन घनश्याम साँवरो, संतन को चित चैर।
म्हारे हिवड़े माहीं बसगयो आय।। म्हारो।। 2 ।।
म्हारो बर नटवर गिरधारी, अरजुन को रथवान।
जुद्ध करन का डंका बाजे, प्रगटे गीता ग्यान।
जाकी सुन सुन बातां अचरज मोकहुँ आय।। म्हारो।। 3 ।।
म्हारो बर नटवर गिरधारी, घट घट व्यापक एक।
जुग जुग माहीं प्रगट होय, भगतां री राखे टेक।
बोलो प्रेम से बुलावे जठे जाय।। म्हारो।। 4 ।।