(228)
बादरवा गरजे घनन घनन।। टेर ।।
कुञ्जन श्याम राधिका शोभित, भ्रमर करत धुनि भनन भनन।। 1 ।।
सीतल मंद सुगंध सुहावनि, पवन चलत है सनन सनन।। 2 ।।
निरतत रास करत सखियन सँग, पायल बाजे छनन छनन।। 3 ।।
बाजत ताल मृदंग शंख धुनि, झाँझ बजत है झनन झनन।। 4 ।।
मुरली मधुर अधर बिच शोभित, वीणा बाजे तनन तनन।। 5 ।।
झर झर कुसुम परत बेनिन सों, ठुमकत जुग पद ठनन ठनन।। 6 ।।
‘श्यामसखा’ भये शिथिल नयन दोउ डगमगात लखि मनन मनन।। 7 ।।