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दधि मथत ग्वालि गरबीली री।। टेर ।।
रुनक झुनक कटि किंकनि बाजत,
बाँह झुलावत ढीली री।। 1 ।।
कमल नयन दधि माखन माँगत,
नाहिन देत हठीली री।। 2 ।।
भरी गुमान बिलोवत ठाढ़ी,
अपने रंग रँगीली री।। 3 ।।
हँसि दीन्हो नँदलाल लाड़िलो,
मीठी सी बात कहीली री।। 4 ।।
‘सूरदास’ मन हरन मनोहर,
सरबस दियो है छबीली री।। 5 ।।