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कान्हाजी थे तो चैकी विराजो जी।
सब सखियाँ करे अरदास, सलौनी सूरत दिखाज्यो जी।।
कान्हाजी थाँरे तेल चढ़ावाँ जी,
कान्हाजी थाँरी पीठि लगावाँ जी।
जमुना जल सूँ नहलाय पीत वस्तर पहनावाँ जी।।
कान्हाजी थाँरे काजर साराँजी,
कान्हाजी थाँरे तिलक लगावाँ जी।
थाँ ने मनि मुकता की माल अंग भूषन पहनावाँ जी।।
कान्हाजी थाँरे मुकुट लगावाँ जी,
कान्हाजी थाँरे मुरली धरावाँ जी।
थाँरे काना में कुण्डल सजाय, फूलमाला पहनावाँ जी।।
कान्हाजी थाँरे भोग लगावाँ जी,
कान्हाजी थाँरे पान चबावाँ जी।।
थाँरा गावाँ मंगल गीत मनोहर आरति उताराँ जी।।