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कन्हैया लाल घड़लो म्हारो भरदे रे।
भरदे रे सिर पर धरदे रे।। कन्हैया ।। टेर ।।
तूँ मत जाणी कान्हा, मैं हूँ अकेली,
ब्रज की सहेल्याँ म्हारे सँग है रे।। 1 ।।
तूँ मत जाणी कान्हा, बिनु माँ बाप की,
बरसानो मेरो पिहर है रे।। 2 ।।
तूँ मत जाणी कान्हा, मैं हूँ कँवारी,
नन्द को छबीलो म्हारो वर है रे।। 3 ।।
‘चन्द्र सखी’ भज बालकृष्ण छबि,
चरणाँरी दासी म्हाँने कर दे रे।। 4 ।।