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सखि हे म्हारो मदन मोहन घन श्याम, कलेवो करतो ही मुलके।
हे सखी! श्याम सुन्दर नन्दलाल, कलेवो करतो ही मुलके।। टेर ।।
हे सखी! दूध बतासा म्हारो श्याम, पीवे हे बालो गट गट के।। 1 ।।
हे सखी! माखन मिसरी रो भोग, रोटी तो याँके गले अटके।। 3 ।।
हे सखी! मोर मुकुट गल माल, कुण्डल कानां माहीं भलके।। 4 ।।
हे सखी! ठुमुक ठुमुक ज्याँरी चाल, मनड़ो तो लीन्हो वश करके।। 5 ।।
हे सखी! हाथों में छड़ी है गुलाब, छटा तो चहुँ दिसि छिटके।। 6 ।।
हे सखी! बन्शी की मीठी मीठी सी तांन, सुनत म्हारो हीयो धड़के।। 7 ।।
हे सखी! मुरली की मधुरी सी तांन, सुनत म्हारो हीयो धड़के।। 8 ।।
हे सखी! सुन्दर श्याम शरीर पीताम्बर ज्याँके अंग झलके।। 9 ।।
हे सखी! नटखट जसोदारो लाल, निरख्याँ ही म्हारो जियो अटके।। 10 ।।
हे सखी! मन्द मन्द मुसकाय, बतलावे म्हाँने हँस हँस के।। 11 ।।