(19)
आज मेरे अंगना में आवो नन्दलाल, आवो गोपाल,
दरशन की प्यासी गुजरिया श्याम।। टेक।।
अंगना में आवो मेरे माखन कूं खावो,
मीठी मीठी बतियाँ सुनावो नन्दलाल।। 1 ।।
अंग पै झंगुलया, शीश पै लटुरिया,
दूध की दंतुलिया दिखावो नन्दलाल।। 2 ।।
रैन नहिं सोवे उठि भोर ही विलोवें दधि,
गावें और ध्यावें तोही कूं नन्दलाल।। 3 ।।
कोरी कोरी मटकी में धौरी धौरी गैयन को,
न्यारौ ही जमाय दही राख्यो नन्दलाल।। 4 ।।
खावो बृजरानी को माखन नित्य-प्रति;
प्रेम तें गरीबनी को खावो नन्दलाल।। 5 ।।