(61)
अम्माँ मोरी भोर ही दहिड़ो बिलोऊं हे,
म्हारो श्याम सुन्दर माखन माँग सी।। टेर ।।
अम्माँ मोरी होले होले आँगण बहुरूं हे,
म्हारो मदन मोहन बालो जागसी।। 1 ।।
अम्माँ मोरी जमुना रो जल भर लाऊं हे,
म्हारो मदन मोहन बालो न्याहसी।। 2 ।।
अम्माँ मोरी पीत झंगुली पहनाऊं हे,
याँ रे मुकुट सजाऊं माथे मौर को।। 3 ।।
अम्माँ मोरी पाँव पैंजणियाँ पहनाऊँ हे,
म्हारो ठुमक ठुमक कान्हु चालसी।। 4 ।।
अम्माँ मोरी काजल तिलक लगाऊं हे,
याँ रे हाथाँ रे नजरिया बाँधूं नेह का।। 5 ।।
अम्माँ मोरी दूध गरम कर रखूं हे,
म्हारो कान्ह बालूड़ो गट गट पीवसी।। 6 ।।
अम्माँ मोरी पालणियूं रेशम को घलाऊं हे,
म्हारे छोटे से कान्हा नें झोठा देयस्यूं।। 7 ।।
अम्माँ मोरी ‘श्यामसखा’ बलि जाऊं हे,
म्हारे हिवड़े माहीं हरदम याँने राखस्यूं।। 8 ।।