(81)
दधि पीले रे श्याम सलौना।। टेर ।।
काहे की तेरी बनी मथनियाँ, कौन पत्र के दौना।। 1 ।।
कोरे काठ की बनी मथनियाँ, कदम पत्र के दौना।। 2 ।।
कौन घाट पर ग्वाल जुड़े हैं, कौन घाट नन्द-छौना।। 3 ।।
चीर घाट पर ग्वाल जुड़े हैं, कालिन्दी नन्द-छौना।। 4 ।।
तुझ पै राई-नौन उतारूँ, लगे नहीं तेरे टोना।। 5 ।।
‘चन्द्रसखी’ भजु बालकृष्ण छबि, हरि के चरण चित पोना।। 6 ।।